A DEVOTEE ALWAYS THINKS THAT HE IS AN INSTRUMENT IN THE HANDS OF GOD.HE SAYS WHEN ANYTHING HAPPENS, WHETHER DESIRABLE OR UNDESIRABLE, "GOD IS EVERYTHING. GOD DOES EVERYTHING FOR MY OWN GOOD. GOD IS JUST." BY THE PRACTICE OF THIS BHAVA (MENTAL ATTITUDE), HE IS ALWAYS HAPPY, UNDER ALL CIRCUMSTANCES AND CONDITIONS OF LIFE. BY ENTERTAINING THIS BHAVA, HE GIVES UP THE IDEA OF AGENCY AND ENJOYMENT AND THUS FREES HIMSELF FROM THE BONDS OF KARMA. HE RESTS IN PERFECT, UNALLOYED PEACE AND ATTAIN THE STATE OF THE HIGHEST BLISS, KNOWLEDGE AND IMMORTALITY. (Swami Sivananda)
भक्त सदा यह सोचता है कि वह भगवान् के हाथों का उपकरण मात्र है। जब कभी उसके जीवन में अच्छी या बुरी घटना घटती है तो वह कहता है, "ईश्वर ही सब कुछ हैं। वह मेरे अच्छे के लिए ही सब कुछ करते हैं। ईश्वर न्यायी हैं।" इस अभ्यास से वह जीवन की सभी परिस्थितियों और दशाओं में प्रसन्नचित रहता है। अपने अन्दर यह भाव जगाने से वह कर्तापन और भोक्तापन का विचार त्याग देता है और इस प्रकार कर्म के जटिल बन्धनों से अपने को मुक्त करता है। इस तरह वह पूर्ण और विकार-रहित शान्ति, परमानन्द, ज्ञान और अमरत्व को प्राप्त होता है। (स्वामी शिवानन्द)
गुरुवार, 14 जनवरी 2010
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