शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 30.10.09

PLEASANT WORDS SOUND UNPLEASANT,
IF SPOKEN OUT OF PLACE,
SOUNDS OF LOVE IN TIMES OF WAR,
UNWELCOME MUSIC MAKE.
(Varind Kavi)
नीकी पै फीकी लगे, बिन अवसर की बात।
जैसे बरनत युद्ध में, नहिं सिंगार सुहात।।

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गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 29.10.09

BEAR UP WITH THE EVIL DAYS,
DON’T GRUMBLE OR BEWAIL,
THINGS WILL STRAIGHTEN OUT
THEMSELVES, LET BETTER TIME PREVAIL
(Rahim)
अब रहीम चुप करि रहउ, समुझ दिनन का फेर।
जब दिन नीके आई है, बनत न लगि है देर।।

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बुधवार, 28 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 28.10.09

COMPASSION IS THE SOUL OF VIRTUE,
VANITY IS THE EVIL'S SEED,
ABANDON NOT COMPASSION
AS LONG AS YOU BREATHE.
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोडिए, जब लग घट में प्राण।।

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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 27.10.09

I HAVE NOTHING TO CALL MY OWN,
ALL IS YOURS, O LORD,
IF I RETURN WHAT YOU GAVE,
I INCUR NO LOSS.
मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा।
तेरा तुझको सोंपता, क्या लागे है मेरा।
(संत कबीर)

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सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 26.10.09

ENERGY IS WASTED IN IDLE THINKING.
KEEP YOURSELF ALWAYS OCCUPIED
IN DOING VIRTUOUS ACTIONS AND THE
STUDY OF RELIGIOUS BOOKS. YOU CAN
THEREBY CULTIVATE GOOD AND SUBLIME
THOUGHTS. DESTROY RANDOM THINKING.
(Swami Sivananda)
व्यर्थ के चिन्तन से शक्ति नष्ट होती है। अपने को सदा
धार्मिक कार्यों और धार्मिक पुस्तकों में संलग्न रखो।
वहीं से तुम अच्छे और पवित्र विचारों की शिक्षा
पा सकते हो। व्यर्थ चिन्तन को त्याग दो।


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शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 23.10.09

A GOOD MAN CAN HELP HIS FRIEND, EVEN
THOUGH HE LIVES AT A LONG DISTANCE,
BY GOOD THOUGHTS . YOU MUST NOT
ALLOW ANY EVIL THOUGHT TO ENTER
YOUR MENTAL FACTORY. AVOID USELESS
AND BASE THINKING, AND RESERVE
OR CONSERVE YOUR MENTAL ENERGY.
(Swami Sivananda)
एक अच्छा मनुष्य यदि अपने मित्र से दूर रहता
है तब भी वह अपने मित्र को अच्छे विचारों द्वारा
सहायता पहुंचा सकता है। सच तो यह है कि
अपने अन्दर किसी भी दुर्विचार को आश्रय नहीं
देना चाहिए। सदा अपने विचारों का निरीक्षण
कर, व्यर्थ और निम्न विचारों को दूर हटाया
जाय और मानसिक शक्ति की सुरक्षा की जाय।

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गुरुवार, 22 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 22.10.09

ONE SHOULD DEVELOP THE FACULTY OF
PRODUCING PURE SATTVIC THOUGHTS
BY PROTRACTED MENTAL DISCIPLINE,
DIETETIC ADJUSTMENTS, REPETITION OF
GOOD SLOKAS WITH MEANING, GOOD
COMPANY, STUDY OF DIVINE BOOKS, JAPA,
MEDITATION, PRANAYAMA, PRAYER, ETC.
(Swami Sivananda)
प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मानसिक शिष्टाचार,
शुद्ध आहार, सत्यभाषण, सत्संगति, धार्मिक पुस्तकों
का अध्ययन, जप, ध्यान, प्राणायाम और प्रार्थना
का अभ्यास कर सात्विक विचारों को उत्पन्न
करने की शक्ति का विकास करे।

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बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 21.10.09

A THOUGHT OF ANGER OR HATRED SENDS
ARROWS FROM THE MENTAL FACTORY
TOWARDS THE PERSON AIMED AT, HARMS
THE INDIVIDUAL, SETS UP DISCORD AND
DISHARMONY IN THE THOUGHT-WORLD,
AND COMES BACK AGAIN TO THE SENDER
AND HARMS THE SENDER ALSO.
(Swami Sivananda)
व्यक्ति के मानसिक कारखाने से घृणा या क्रोध का
विचार लोगों की ओर बाण-सन्धान करता है,
व्यक्ति को हानि पहुंचाता है, विचार-जगत में विरोध
और फूट फैलाता है और फिर भेजने वाले के पास
ही लौटता है और उसको भी चोट पहुंचाता है।


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मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 20.10.09

LUSTFUL THOUGHTS, THOUGHT OF HATRED,
JEALOUSY AND SELFISHNESS, PRODUCE
DISTORTED IMAGES IN THE MIND AND
CAUSE CLOUDING OF UNDERSTANDING,
PERVERSION OF INTELLECT, LOSS OF
MEMORY, AND CONFUSION IN THE MIND.
(Swami Sivananda)
कामुक विचार, घृणा की भावना, द्वेष और स्वार्थ के विचार
- मन में विकारों का रूप धारण कर लेते हैं, जिनके कारण
बुद्धि और समझ में विकार आ जाता है, स्मरण शक्ति का
ह्रास होने लगता है और मन में भ्रम उत्पन्न हो जाता है।

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सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 19.10.09

Misunderstanding easily occurs between two persons. One is not able to understand rightly the views of another. Hence, friction, rupture and quarrel occur within a minute even amongst fast friends. The friendship does not last long. One should be in tune with the mental vibrations or thought vibrations of another man. Then only one can easily understand another.
(Swami Sivananda)

प्रायः दो व्यक्तियों में अनबन हो जाया करती है। एक, दूसरे के मतलबों को ठीक से नहीं समझ पाता। अतः घनिष्ट मित्रों में भी एक पल में तनाव और झगड़ा हो जाता है। मित्रता अधिक समय तक नहीं निभती। प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के विचारों के स्फुरण के साथ मेल रखे; तभी एक, दूसरे को आसानी से समझ सकता है।

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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 15.10.09

EVERY MAN HAS GOT HIS OWN MENTAL WORLD,
HIS OWN MODE OF THINKING, HIS OWN WAYS
OF UNDERSTANDING THINGS, AND HIS OWN
WAYS OF ACTING. JUST AS THE FACE AND
VOICE OF EVERY MAN DIFFER FROM THOSE
OF ANOTHER MAN, THE MODE OF THINKING
AND UNDERSTANDING ALSO DIFFERS.
(Swami Sivananda)
प्रत्येक व्यक्ति का सोचने, समझने और काम करने
का अपना तरीका होता है। जिस तरह एक व्यक्ति
की आकृति और स्वर दूसरे से भिन्न हुआ करती है,
उसी तरह विचारों और समझ में भी अन्तर होता है।

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बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 14.10.09

IF YOU GET A GLOOMY FEELING. THINK OF
CHEERFULNESS. IMAGINE THE ADVANTAGES
OF CHEERFULNESS. BEGIN TO SMILE AND
LAUGH SEVERAL TIMES. SING SOME TUNES
THAT CAN ELEVATE YOU QUICKLY. SINGING
IS VERY BENEFICIAL TO DRIVE OFF GLOOM.
THE DEPRESSION WILL VANISH SOON.

यदि तुम दुःख की भावना से संतप्त हो, तो आनन्द की बातें
सोचो। आनन्द से क्या-क्या लाभ होते हैं, वह सोचो। मुस्कुराना
आरम्भ करो और अनेकों बार हंसो। कुछ राग अलाप करो,
जिससे तुममें प्रफुल्लता आयेगी। विषाद दूर करने के लिए
गाने से बहुत लाभ मिलता है। शीघ्र ही विषाद दूर हो जाता है।

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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 13.10.09

IF THERE IS LUST THINK OF THE
ADVANTAGES OF CELIBACY. IF THERE
IS MOHA(INFATUATION), THINK OF
DISCRIMINATION AND ATMIC VICHARA.

यदि काम-भावना उपद्रव कर रही है

तो ब्रह्मचर्य के लाभों की सोचो।
यदि मोह प्रबल है तो विवेक और

आत्म-विचार के संबंध में सोचो।

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सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 12.10.09

IF THERE IS TIMIDITY,
THINK OF COURAGE AND SO ON.
WHEN COURAGE IS DEVELOPED,
FEAR VANISHES AWAY BY ITSELF.

यदि कायरता सबल है तो साहस की बातें सोचो।
जब साहस का विकास हो गया तो
भय अपने आप ही चला जायगा।

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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

बंजारानामा - 'नज़ीर' अकबराबादी

क्या सख़्त मकां बनवाता है, खंभ तेरे तन का है पोला
तू ऊंचे कोट उठाता है, वां गोर गढ़े ने मुंह खोला
क्या रैनी, ख़दक़, रंद बड़े, क्या बुर्ज, कंगूरा अनमोला
गढ़, कोट, रहकला, तोप, क़िला, क्या शीशा दारू और गोला
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

हर आन नफ़े और टोटे में, क्यों मरता फिरता है बन-बन
टुक ग़ाफ़िल दिल में सोच जरा, है साथ लगा तेरे दुश्मन
क्या लौंडी, बांदी, दाई, दिदा, क्या बन्दा, चेला नेक-चलन
क्या मस्जिद, मंदिर, ताल, कुआं, क्या खेतीबाड़ी, फूल, चमन
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

जब मर्ग फिराकर चाबुक को, ये बैल बदन का हांकेगा
कोई ताज समेटेगा तेरा, कोइ गौन सिए और टांकेगा
हो ढेर अकेला जंगल में तू, ख़ाक लहद की फांकेगा
उस जंगल में फिर आह 'नज़ीर', इक तिनका आन न झांकेगा
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 08.10.09

IF THERE IS HYPOCRISY, THINK OF
FRANKNESS AND ITS INVALUABLE ADVANTAGES.

छल कपट की भावना प्रबल होने पर
निष्कपटता और उसके मूल्यवाण लाभों की सोचो।


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बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 07.10.09

IF THERE IS PRIDE, THINK OF HUMILITY.
IF THERE IS JEALOUSY, THINK OF
NOBILITY AND MAGNANIMITY.

यदि तुम्हें अहंकार है, तो विनम्रता का विचार करो।
यदि द्वेष की भावना प्रबल है तो भद्रता और
उदारता के विषय में विचार करो।

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मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 06.10.09

IF THERE IS MISERLINESS, THINK OF
GENEROSITY AND GENEROUS PERSONS.

यदि कंजूसी के विचार प्रबल हैं तो,
दान और दानी व्यक्तियों के संबंध में सोचो।

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सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 05.10.09

IF THERE IS DISHONESTY,
THINK OF HONESTY AND INTEGRITY

यदि बेईमानी की भावना प्रबल है तो,
ईमानदारी और पवित्रता के संबध में सोचो


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शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 02.10.09

बंजारानामा - 'नज़ीर' अकबराबादी
क्यों जी पर बोझ उठाता है इन गौनों भारी-भारी के
जब मौत का डेरा आन पड़ा फिर दूने हैं ब्योपारी के
क्या साज़ जड़ाऊ, ज़र ज़ेवर क्या गोटे थान किनारी के
क्या घोड़े ज़ीन सुनहरी के, क्या हाथी लाल अंबारी के
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

मग़रूर न हो तलवारों पर मत भूल भरोसे ढालों के
सब पत्ता तोड़ के भागेंगे मुंह देख अजल के भालों के
क्या डिब्बे मोती हीरों के क्याढेर ख़जाने मालों के
क्या बुक़चे ताश, मुशज्जर के क्या तख़ते शाल दुशालों के
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
मगरुर-घमण्डी, बुक़चे ताश-छपा हुआ कपड़ा, मुशज्जर-पेड़ों के डिजाइन का कपड़ा

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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 01.10.09

IF THERE IS HARSHNESS OF HEART,
THINK OF MERCY

यदि मन कठोर हो तो,
दया की भावना का विचार करो।


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