NO USE BEING A SAINT
IF YOUR SPEECH IS UNCONTROLLED,
IF YOUR WORDS ARE BITTER GALL,
AND YOUR TONGUE A SWORD.
साधु भये तो क्या भये जो नहि बोल विचार।
हने पराई आत्मा जीभ लिये तलवार।।
(कबीर)
शुक्रवार, 29 जनवरी 2010
गुरुवार, 28 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 28.01.10
What is success? Is it material prosperity and thriving on well in this world with plenty of money and children, or something else? Success is of two kinds, viz., worldly success and spiritual success. If you are in good, affluent circumstances, if you have everything that this world can give you, this is worldly success. This alone will not suffice. Because, this world is imperfect. You must have success in the spiritual world and in the path of realisation as well. Then only you will have complete or perfect success.
(Swami Sivananda)
सफलता क्या है? क्या इसका अर्थ भौतिक खुशहाली और इस संसार में अधिक धन, परिवार की प्राप्ति है या कुछ और भी है? सफलता दो तरह की है, सांसारिक सफलता और आध्यात्मिक सफलता। यदि आप धनी और साधन-संपन्न है और आपके पास वह सब कुछ है जो भी यह संसार आपको दे सकता है, यह सांसारिक सफलता है। केवल यही प्रयाप्त नहीं है। क्योंकि यह संसार अपूर्ण है। तुम्हें आध्यात्मवाद के क्षेत्र और यथार्थवाद के पथ पर भी सफलता पाना आवश्यक है। तभी आप पूर्ण और अखण्ड सफलता पा सकोगे।
(Swami Sivananda)
सफलता क्या है? क्या इसका अर्थ भौतिक खुशहाली और इस संसार में अधिक धन, परिवार की प्राप्ति है या कुछ और भी है? सफलता दो तरह की है, सांसारिक सफलता और आध्यात्मिक सफलता। यदि आप धनी और साधन-संपन्न है और आपके पास वह सब कुछ है जो भी यह संसार आपको दे सकता है, यह सांसारिक सफलता है। केवल यही प्रयाप्त नहीं है। क्योंकि यह संसार अपूर्ण है। तुम्हें आध्यात्मवाद के क्षेत्र और यथार्थवाद के पथ पर भी सफलता पाना आवश्यक है। तभी आप पूर्ण और अखण्ड सफलता पा सकोगे।
बुधवार, 27 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 27.01.10
Lead a simple, natural life. Be honest in your dealings. Develop noble qualities. Take recourse to the company of wise men. Remember God, sing His name, feel His presence. Think aright, speak truth and act righteously. Learn how to lead a divine life while remaining in the world. Then the whole question is solved. All miseries will come to an end. You will have success in every walk of life and undertaking. Keep the master-key with you and open the chambers of Elysian-Bliss.
(Swami Sivananda)
साधारण और प्राकृतिक जीवन जियो। अपने व्यवहार में ईमानदार बनो। अच्छे गुणों का विकास करो। बुद्धिमान व्यक्तियों की सभा में आश्रय लो। भगवान को याद रखो, उसके नाम का गुणगान करो, उसकी उपस्थिति को महसूस करो। अच्छा सोचो, सत्य बोलो और न्यायसंगत कार्य करो। संसार में रहते हुए पवित्र जीवन जीना सीखो। तब हर समस्या का समाधान हो जाता है। सभी दुःखों का अन्त हो जाएगा। तुम्हें जीवन के हर क्षेत्र और उपक्रम में सफलता मिलेगी। अपने हाथ में सफलता की कुंजी रखो और परम-सुख के द्वार खोलते जाओ।
(Swami Sivananda)
साधारण और प्राकृतिक जीवन जियो। अपने व्यवहार में ईमानदार बनो। अच्छे गुणों का विकास करो। बुद्धिमान व्यक्तियों की सभा में आश्रय लो। भगवान को याद रखो, उसके नाम का गुणगान करो, उसकी उपस्थिति को महसूस करो। अच्छा सोचो, सत्य बोलो और न्यायसंगत कार्य करो। संसार में रहते हुए पवित्र जीवन जीना सीखो। तब हर समस्या का समाधान हो जाता है। सभी दुःखों का अन्त हो जाएगा। तुम्हें जीवन के हर क्षेत्र और उपक्रम में सफलता मिलेगी। अपने हाथ में सफलता की कुंजी रखो और परम-सुख के द्वार खोलते जाओ।
सोमवार, 25 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 25.01.10
People have lost their senses and walk self-deluded in this sense-universe. Intelligent people devise intelligent methods to take bribes and earn money by various dishonest means. There is corruption everywhere. Mercy, sympathy, candidness and honesty have fled away from the heart. When the mind is filled with greed, passion and dishonesty, conscience is destroyed. Now then, is there any remedy for improving this present deplorable state of affairs? Yes, there is. We will have to adopt the simple living and high thinking.
(Swami Sivananda)
लोग अपनी समझ खो चुके हैं और इस चेतन-विश्व में आत्म-भ्रमित होकर घूम रहे हैं। बुद्धिजीवी रिश्वत लेने और बेईमानी के विभिन्न साधनों द्वारा धन कमाने के चतुर साधन खोज निकालते हैं। हर तरफ भ्रष्टाचार है। दिलों से दया, स्हानुभूति, ईमानदारी और निष्कपटता समाप्त हो चुकी है। जब मन लालच, लालसा और बेईमानी से भरा हो, अन्तरात्मा की आवाज नष्ट हो जाती है। क्या इस वर्तमान दयनीय स्थिति को सुधारने का कोई उपाय है? हाঁ ऐसा है। हमें साधारण जीवन और उच्च विचारों को अपनाना होगा।
(Swami Sivananda)
लोग अपनी समझ खो चुके हैं और इस चेतन-विश्व में आत्म-भ्रमित होकर घूम रहे हैं। बुद्धिजीवी रिश्वत लेने और बेईमानी के विभिन्न साधनों द्वारा धन कमाने के चतुर साधन खोज निकालते हैं। हर तरफ भ्रष्टाचार है। दिलों से दया, स्हानुभूति, ईमानदारी और निष्कपटता समाप्त हो चुकी है। जब मन लालच, लालसा और बेईमानी से भरा हो, अन्तरात्मा की आवाज नष्ट हो जाती है। क्या इस वर्तमान दयनीय स्थिति को सुधारने का कोई उपाय है? हाঁ ऐसा है। हमें साधारण जीवन और उच्च विचारों को अपनाना होगा।
शुक्रवार, 22 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 22.01.10
What has science done to us? No doubt, it has added a fund of knowledge on the physical plane. But, this knowledge is mere husk when compared with the knowledge of the Self. All sciences are founded on the knowledge of Atma(self). Thanks to science and scientists who work whole-heartedly for years together in closed rooms for inventions and discoveries. They are giving comforts. But, it has made living very costly and luxurious. Man is more restless now. A luxury of today becomes want of tomorrow. The standard of living has become very high. Clerks and officers do not hesitate to tell lies and take bribes to make both ends meet.
(Swami Sivananda)
विज्ञान ने हमारे लिए क्या किया है? निस्संदेह इसने भौतिक धरात्तल पर ज्ञान के भण्डार को बढ़ाया है। परन्तु, यह ज्ञान, आत्मज्ञान की तुलना में मूल्यहीन मात्र है। सभी विज्ञान आत्मज्ञान पर आधारित हैं। हम विज्ञान और विज्ञानिकों के आभारी हैं, जो वर्षों तक बंद कमरों में बैठकर नई खोजों और अविष्कारों के लिए पूर्ण तन्मयता से कार्य करते हैं। इनसे हमें सुख-साधन प्राप्त होते हैं। लेकिन इन्होंने जीवन-यापन महंगा और विलासपूर्ण बना दिया है। मनुष्य अब अधिक विचलित है। आज की विलासिता के साधन कल की आवश्यकता बन जाते हैं। जीवन-यापन का स्तर बहुत ऊঁचा उठ गया है। कर्मचारी और अधिकारी जरुरतें पूरी करने के लिए झूठ बोलने और रिश्वत लेने से नहीं झिझकते।
(Swami Sivananda)
विज्ञान ने हमारे लिए क्या किया है? निस्संदेह इसने भौतिक धरात्तल पर ज्ञान के भण्डार को बढ़ाया है। परन्तु, यह ज्ञान, आत्मज्ञान की तुलना में मूल्यहीन मात्र है। सभी विज्ञान आत्मज्ञान पर आधारित हैं। हम विज्ञान और विज्ञानिकों के आभारी हैं, जो वर्षों तक बंद कमरों में बैठकर नई खोजों और अविष्कारों के लिए पूर्ण तन्मयता से कार्य करते हैं। इनसे हमें सुख-साधन प्राप्त होते हैं। लेकिन इन्होंने जीवन-यापन महंगा और विलासपूर्ण बना दिया है। मनुष्य अब अधिक विचलित है। आज की विलासिता के साधन कल की आवश्यकता बन जाते हैं। जीवन-यापन का स्तर बहुत ऊঁचा उठ गया है। कर्मचारी और अधिकारी जरुरतें पूरी करने के लिए झूठ बोलने और रिश्वत लेने से नहीं झिझकते।
गुरुवार, 21 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 21.01.10
The householders are not properly discharging their duties in accordance with the injunction of Sastras. There are many blunders in the daily conduct of householders. They do not observe right conduct. They do not speak the truth. They hurt the feelings of others. They are greedy, dishonest and passionate. They do not discharge their daily duties, such as, service of guests, charity etc. They lead a very materialistic life. Hence they do not grow spiritually. They have no ethical training. They eat, drink and amuse themselves. They are the followers of Epicurean Philosophy.
(Swami Sivananda)
गृहस्थी अपने कर्तव्यों का पालन शास्त्रानुसार नहीं करते। गृहस्थियों की दिनचर्या में कई त्रुटियां हैं। वे सही आचरण नहीं अपनाते। वे सत्य नहीं बोलते। वे दूसरों की भावनाओं को चोट पहुঁचाते है। वे लालची, बेईमान और लालसी हैं। वे अपने दैनिक कर्तव्यों, जैसे अतिथि-सत्कार, दान आदि का निर्वाह नहीं करते। वे भौतिक जीवन बिताते हैं, इसीलिए वे आध्यात्मवाद में उन्नति नहीं कर पाते। उनका कोई नीतिगत प्रशिक्षण नहीं है। वे खाते हैं, पीते हैं और अपना मन बहलाते हैं। वे विलासी प्रवृति के अनुयायी हैं।
(Swami Sivananda)
गृहस्थी अपने कर्तव्यों का पालन शास्त्रानुसार नहीं करते। गृहस्थियों की दिनचर्या में कई त्रुटियां हैं। वे सही आचरण नहीं अपनाते। वे सत्य नहीं बोलते। वे दूसरों की भावनाओं को चोट पहुঁचाते है। वे लालची, बेईमान और लालसी हैं। वे अपने दैनिक कर्तव्यों, जैसे अतिथि-सत्कार, दान आदि का निर्वाह नहीं करते। वे भौतिक जीवन बिताते हैं, इसीलिए वे आध्यात्मवाद में उन्नति नहीं कर पाते। उनका कोई नीतिगत प्रशिक्षण नहीं है। वे खाते हैं, पीते हैं और अपना मन बहलाते हैं। वे विलासी प्रवृति के अनुयायी हैं।
बुधवार, 20 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 20.01.10
Science and religion, poliitics and religion are inseparable. They obviously go hand in hand. Politics prepares the ground for the reception of spiritual seeds. If there is no economical independence, no peace in the country, when there is chaos in the country, how can the spiritual teachers bring home the subtle philosophical truths and facts to the minds of the people when their minds are perturbed, and they have not got sufficient food, clothing and other auxiliaries of life?
विज्ञान और धर्म, राजनीति और धर्म - यह सभी अभिन्न हैं। साथ-साथ ही इनका विकास होता है। राजनीति ही आध्यात्मिक बीज की प्रफुल्लता के लिए धरती तैयार करती है। यदि देश की आर्थिक स्थिति सशक्त न हो, राजनीतिक हालत अच्छी न हो, शान्ति का माहोल न हो, जब लोगों के मन ही उद्विगण हों और जीवन की जरुरी वस्तुओं जैसे कि प्रयाप्त आहार और कपड़ा आदि का अभाव हो, तो आध्यात्मिक प्रचारक किस प्रकार अपने उपदेशों को समाज में प्रसारित कर सकेंगे।
विज्ञान और धर्म, राजनीति और धर्म - यह सभी अभिन्न हैं। साथ-साथ ही इनका विकास होता है। राजनीति ही आध्यात्मिक बीज की प्रफुल्लता के लिए धरती तैयार करती है। यदि देश की आर्थिक स्थिति सशक्त न हो, राजनीतिक हालत अच्छी न हो, शान्ति का माहोल न हो, जब लोगों के मन ही उद्विगण हों और जीवन की जरुरी वस्तुओं जैसे कि प्रयाप्त आहार और कपड़ा आदि का अभाव हो, तो आध्यात्मिक प्रचारक किस प्रकार अपने उपदेशों को समाज में प्रसारित कर सकेंगे।
मंगलवार, 19 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 19.01.10
Self-realisation does not mean, however, that we should ignore the life in the physical plane of matter. Matter is expression of God. Matter and Spirit are inseparable like heat and fire, cold and ice, flower and fragrance. Power and he who possesses power are one. A life in the physical plane is a definite preparation for the eternal life. World is our best teacher; the five elements are our Gurus. Nature is our mother and director. Nature is our silent Master. World is the best training ground for the development of various divine virtues. The central teaching of the Gita is that one should realize his Self by remaining in the world.
(Swami Sivananda)
आत्मचेतना का अर्थ यह नहीं कि हम भौतिक जीवन की अवहेलना करें। पदार्थ तो परमात्मा का ही व्यक्त स्वरुप है। जिस तरह आग और तेज, हिम और शीतलता, पुष्प और सौरभ तथा शक्ति और शक्तिमान अभिन्न हैं, उसी प्रकार पदार्थ और उसके अन्दर विद्यमान शक्ति को अलग नहीं किया जा सकता। इस भौतिक लोक का जीवन आत्मचेतनामय जीवन का उपकरण है। संसार से परमोच्च शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। पाঁच तत्व हमारे गुरु हैं। प्रकृति की गोद में पलकर ही मनुष्य अच्छी शिक्षाएं प्राप्त कर सकता है। आत्मचेतना की प्राप्ति के लिए जिन-जिन गुणों से व्यक्ति को सुसज्जित होना पड़ता है, उन सबका उपार्जन इसी भौतिक लोक में किया जा सकता है। गीता का भी यही उपदेश है कि संसार में रहते हुए आत्म-प्राप्ति की चेष्टा करें।
(Swami Sivananda)
आत्मचेतना का अर्थ यह नहीं कि हम भौतिक जीवन की अवहेलना करें। पदार्थ तो परमात्मा का ही व्यक्त स्वरुप है। जिस तरह आग और तेज, हिम और शीतलता, पुष्प और सौरभ तथा शक्ति और शक्तिमान अभिन्न हैं, उसी प्रकार पदार्थ और उसके अन्दर विद्यमान शक्ति को अलग नहीं किया जा सकता। इस भौतिक लोक का जीवन आत्मचेतनामय जीवन का उपकरण है। संसार से परमोच्च शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। पाঁच तत्व हमारे गुरु हैं। प्रकृति की गोद में पलकर ही मनुष्य अच्छी शिक्षाएं प्राप्त कर सकता है। आत्मचेतना की प्राप्ति के लिए जिन-जिन गुणों से व्यक्ति को सुसज्जित होना पड़ता है, उन सबका उपार्जन इसी भौतिक लोक में किया जा सकता है। गीता का भी यही उपदेश है कि संसार में रहते हुए आत्म-प्राप्ति की चेष्टा करें।
सोमवार, 18 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 18.01.10
Life is of two kinds, viz., life in matter, and life in Atma or Spirit or pure consciousness. Biologists and physiologists hold that life consists of thinking, feeling, knowing, willing, digestion, excretion, circulation, respiration, etc. This kind of life is not everlasting. This is attended with dangers, pain, fear, cares and anxieties, worries, exertion, sin, etc. Therefore, sages, seers and prophets who have realised their inner self by discipline of the mind and the organs, by leading a life of self-denial, self-sacrifice and self-abnegation have emphatically declared that a life in the Pure Spirit alone can bring everlasting peace, infinite bliss, supreme joy, eternal satisfaction and immortality.
(Swami Sivananda)
जीवन दो प्रकार का होता है, यथा भौतिक जीवन और चेतनात्मक जीवन। नृतत्त्व-शास्त्री तथा देहविज्ञानवादियों का कहना है कि सोचना, अनुभव करना, जानना, संकल्प करना, पचाना, मलादि वेगों का त्यागना, रक्तादि का संचरण, स्खलन आदि क्रियाओं से ही जीवन है। परन्तु इस प्रकार का जीवन शाश्वत नहीं है। इस जीवन में खतरे, दुःख, चिन्ताएঁ और घबराहट, व्याधियां पापादि अनेकों प्रतिक्रियाएं व्याप्त रहती हैं।अतः जिन महात्माओं ने इन्द्रियों और मन पर संयम स्थापित कर, त्याग, तपस्या और वैराग्य-साधना कर आत्ममय जीवन बिताया, उनको यह कहते तनिक भी झुंझलाहट नहीं हुई कि आध्यात्मिक जीवन ही शाश्वत है, जिससे पूर्ण शांति, परम् आनन्द, सच्चा सुख और संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
(Swami Sivananda)
जीवन दो प्रकार का होता है, यथा भौतिक जीवन और चेतनात्मक जीवन। नृतत्त्व-शास्त्री तथा देहविज्ञानवादियों का कहना है कि सोचना, अनुभव करना, जानना, संकल्प करना, पचाना, मलादि वेगों का त्यागना, रक्तादि का संचरण, स्खलन आदि क्रियाओं से ही जीवन है। परन्तु इस प्रकार का जीवन शाश्वत नहीं है। इस जीवन में खतरे, दुःख, चिन्ताएঁ और घबराहट, व्याधियां पापादि अनेकों प्रतिक्रियाएं व्याप्त रहती हैं।अतः जिन महात्माओं ने इन्द्रियों और मन पर संयम स्थापित कर, त्याग, तपस्या और वैराग्य-साधना कर आत्ममय जीवन बिताया, उनको यह कहते तनिक भी झुंझलाहट नहीं हुई कि आध्यात्मिक जीवन ही शाश्वत है, जिससे पूर्ण शांति, परम् आनन्द, सच्चा सुख और संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
शुक्रवार, 15 जनवरी 2010
DIVINE MESSAGE - 15.01.10
WHAT IS LIFE? IS IT MERELY THE ACT OF BREATHING OR RESPIRATION OR DIGESTION OR EXCRETION, THE CONSTRUCTIVE OR DESTRUCTIVE CHANGES THAT EVER GO ON IN THE PHYSICAL ORGANISM OR HUMAN BODY OR ECONOMY OF NATURE? IS IT MERE THINKING OR PLANNING OR SCHEMING TO EARN MONEY, NAME & FAME? IS IT THE ACT OF PROCREATION TO KEEP UP THE LINE? SCIENTISTS AND BIOLOGISTS HAVE A VERY DIFFERENT CONCEPTION OF LIFE. PHILOSOPERS HAVE QUITE A DIFFERENT CONCEPTION OF LIFE.
(Swami Sivananda)
जीवन क्या है? क्या केवल सांस लेना, भोजन को पचाना, मलमूत्रादि वेगों का त्याग करना, शरीर रचना और निर्माण के अन्य कार्यों का होना ही जीवन की परिभाषा का पूरक है? क्या केवल विचार करना, योजनाएं बनाना, विमर्श करना, नाम-यश आदि के लिए प्रयत्न करना ही जीवन की सिद्धि का बोधक है? क्या सन्तति-प्रजनन से जीवन का अर्थ स्पष्ट होता है? वैज्ञानिकों और नृतत्त्व के वैज्ञानिकों का जीवन-विषयक दृष्टिकोण अलग-अलग है। दार्शनिकों ने जीवन को दूसरे दृष्टिकोण से आँका है।
(Swami Sivananda)
जीवन क्या है? क्या केवल सांस लेना, भोजन को पचाना, मलमूत्रादि वेगों का त्याग करना, शरीर रचना और निर्माण के अन्य कार्यों का होना ही जीवन की परिभाषा का पूरक है? क्या केवल विचार करना, योजनाएं बनाना, विमर्श करना, नाम-यश आदि के लिए प्रयत्न करना ही जीवन की सिद्धि का बोधक है? क्या सन्तति-प्रजनन से जीवन का अर्थ स्पष्ट होता है? वैज्ञानिकों और नृतत्त्व के वैज्ञानिकों का जीवन-विषयक दृष्टिकोण अलग-अलग है। दार्शनिकों ने जीवन को दूसरे दृष्टिकोण से आँका है।
गुरुवार, 14 जनवरी 2010
DEVOTION TO GOD
A DEVOTEE ALWAYS THINKS THAT HE IS AN INSTRUMENT IN THE HANDS OF GOD.HE SAYS WHEN ANYTHING HAPPENS, WHETHER DESIRABLE OR UNDESIRABLE, "GOD IS EVERYTHING. GOD DOES EVERYTHING FOR MY OWN GOOD. GOD IS JUST." BY THE PRACTICE OF THIS BHAVA (MENTAL ATTITUDE), HE IS ALWAYS HAPPY, UNDER ALL CIRCUMSTANCES AND CONDITIONS OF LIFE. BY ENTERTAINING THIS BHAVA, HE GIVES UP THE IDEA OF AGENCY AND ENJOYMENT AND THUS FREES HIMSELF FROM THE BONDS OF KARMA. HE RESTS IN PERFECT, UNALLOYED PEACE AND ATTAIN THE STATE OF THE HIGHEST BLISS, KNOWLEDGE AND IMMORTALITY. (Swami Sivananda)
भक्त सदा यह सोचता है कि वह भगवान् के हाथों का उपकरण मात्र है। जब कभी उसके जीवन में अच्छी या बुरी घटना घटती है तो वह कहता है, "ईश्वर ही सब कुछ हैं। वह मेरे अच्छे के लिए ही सब कुछ करते हैं। ईश्वर न्यायी हैं।" इस अभ्यास से वह जीवन की सभी परिस्थितियों और दशाओं में प्रसन्नचित रहता है। अपने अन्दर यह भाव जगाने से वह कर्तापन और भोक्तापन का विचार त्याग देता है और इस प्रकार कर्म के जटिल बन्धनों से अपने को मुक्त करता है। इस तरह वह पूर्ण और विकार-रहित शान्ति, परमानन्द, ज्ञान और अमरत्व को प्राप्त होता है। (स्वामी शिवानन्द)
भक्त सदा यह सोचता है कि वह भगवान् के हाथों का उपकरण मात्र है। जब कभी उसके जीवन में अच्छी या बुरी घटना घटती है तो वह कहता है, "ईश्वर ही सब कुछ हैं। वह मेरे अच्छे के लिए ही सब कुछ करते हैं। ईश्वर न्यायी हैं।" इस अभ्यास से वह जीवन की सभी परिस्थितियों और दशाओं में प्रसन्नचित रहता है। अपने अन्दर यह भाव जगाने से वह कर्तापन और भोक्तापन का विचार त्याग देता है और इस प्रकार कर्म के जटिल बन्धनों से अपने को मुक्त करता है। इस तरह वह पूर्ण और विकार-रहित शान्ति, परमानन्द, ज्ञान और अमरत्व को प्राप्त होता है। (स्वामी शिवानन्द)
बुधवार, 13 जनवरी 2010
GOD - 13.01.10
EVER HAPPINESS AND DIVINE BLISS CAN BE HAD ONLY IN GOD. THAT IS THE REASON WHY SENSIBLE, INTELLIGENT ASPIRANTS ATTEMPT TO HAVE GOD-REALISATION. GOD-REALISATION CAN BRING AN END TO THE WORLDLY WHEEL OF BIRTH AND DEATH WITH ITS CONCOMITANT EVILS. THE FIVE SENSES DELUDE YOU AT EVERY MOMENT. OPEN YOUR EYES. LEARN TO DISCRIMINATE. UNDERSTAND HIS MYSTERIES. FEEL HIS PRESENCE EVERYWHERE. FEEL HIS NEARNESS. HE DWELLS IN THE CHAMBERS OF YOUR HEART.
नित्य सुख और परम शान्ति, ईश्वर-प्राप्ति से ही प्राप्त की जा सकती है। यही कारण है कि विचारवान, बुद्धिमान साधक ईश्वर-प्राप्ति की चेष्टा करते हैं। ईश्वर की प्राप्ति हो जाने पर जन्म-मरण का चक्कर तथा उसके सहकारी दुःखों का नाश हो जाता है। पाঁचों इन्द्रियाঁ मनुष्य को हर दम भ्रमित करती रहती हैं। अपनी आঁखें खोलो। विवेक-बिद्धि से काम लो। ईश्वर के रहस्यों को समझो। भगवान् की सर्वव्यापकता की अनुभूति करो। उसकी निकटता का अनुभव करो। वह आपकी हृदय-गुहा में सर्वदा विराजमान है।
नित्य सुख और परम शान्ति, ईश्वर-प्राप्ति से ही प्राप्त की जा सकती है। यही कारण है कि विचारवान, बुद्धिमान साधक ईश्वर-प्राप्ति की चेष्टा करते हैं। ईश्वर की प्राप्ति हो जाने पर जन्म-मरण का चक्कर तथा उसके सहकारी दुःखों का नाश हो जाता है। पाঁचों इन्द्रियाঁ मनुष्य को हर दम भ्रमित करती रहती हैं। अपनी आঁखें खोलो। विवेक-बिद्धि से काम लो। ईश्वर के रहस्यों को समझो। भगवान् की सर्वव्यापकता की अनुभूति करो। उसकी निकटता का अनुभव करो। वह आपकी हृदय-गुहा में सर्वदा विराजमान है।
मंगलवार, 12 जनवरी 2010
GOD - 12.01.10
HE IS ALL-MERCIFUL. HE DISPENSES THE FRUITS FOR THE ACTIONS OF THE LIVING BEINGS. HE QUENCHES THE THIRST OF THE LIVING BEINGS IN THE FORM OF ICE AND SUCCULENT FRUITS. IT IS THROUGH HIS POWER THAT YOU SEE, WORK, HEAR AND WALK. WHATEVER YOU SEE AND HEAR IS GOD. GOD WORKS THROUGH YOUR HANDS AND EATS THROUGH YOUR MOUTHS. ON ACCOUNT OF IGNORANCE AND ARROGANCE YOU HAVE FORGOTTEN HIM.
वह दयामय है। वह जीवों के कर्मों का फल देने वाला है। वह जीवों की प्यास को शीतल जल और रसान्वित फलों से बुझाता है। परमात्मा की शक्ति से तुम देखते, सुनते, चलते और काम करते हो। जो कुछ तुम देखते और सुनते हो, वह ईश्वर है। ईश्वर तुम्हारे हाथों द्वारा काम करता है और मुख द्वारा भोजन करता है। केवल अज्ञान और अहंकार के कारण तुम उसे भूल गये हो।
वह दयामय है। वह जीवों के कर्मों का फल देने वाला है। वह जीवों की प्यास को शीतल जल और रसान्वित फलों से बुझाता है। परमात्मा की शक्ति से तुम देखते, सुनते, चलते और काम करते हो। जो कुछ तुम देखते और सुनते हो, वह ईश्वर है। ईश्वर तुम्हारे हाथों द्वारा काम करता है और मुख द्वारा भोजन करता है। केवल अज्ञान और अहंकार के कारण तुम उसे भूल गये हो।
सोमवार, 11 जनवरी 2010
GOD - 11.01.10
HE EXISTS IN THE PAST, PRESENT AND FUTURE. HE IS UNCHANGING AMIDST THE CHANGING PHENOMENA. HE IS PERMANENT AMIDST THE IMPERMANENT THINGS OF THIS WORLD. HE IS IMPERISHABLE AMIDST THE PERISHABLE THINGS OF THIS WORLD. THIS WORLD IS A LONG DREAM. IT IS A JUGGLERY OF MAYA (ILLUSION). HE HAS MAYA UNDER HIS CONTROL. HE IS INDEPENDENT.
उसकी सत्ता भूत, वर्तमान और भविष्य में निरन्तर रहती है। जगत् की परिवर्तनशील घटनाओं के मध्य वही एक अपरिवर्तनशील और निर्विकार है। संसार की सभी नश्वर वस्तुओं के मध्य वही अविनश्वर है। यह विश्व दीर्घकालीन स्वप्न के समान है। यह माया की बाजीगरी है। वह मायापति है। वह स्वतन्त्र है।
उसकी सत्ता भूत, वर्तमान और भविष्य में निरन्तर रहती है। जगत् की परिवर्तनशील घटनाओं के मध्य वही एक अपरिवर्तनशील और निर्विकार है। संसार की सभी नश्वर वस्तुओं के मध्य वही अविनश्वर है। यह विश्व दीर्घकालीन स्वप्न के समान है। यह माया की बाजीगरी है। वह मायापति है। वह स्वतन्त्र है।
शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
GOD - 08.01.10
God is Existence-Absolute, Knowledge-Absolute and Bliss-Absolute. God is Truth. God is Love. God is Light of lights. God is all-pervading Intelligence or Consciousness. God is all-pervading Power who governs this universe and keeps it in perfect order. He is the Inner Ruler of this body and mind. He is omnipotent, omniscient and omnipresent. He is the holder of the string of your life. He has six attributes viz., intelligence, dispassion, beauty(grace), powers, wealth and fame. Hence He is called God.
ईश्वर सच्चिदानन्द (अस्तित्वपूर्ण, ज्ञानमय और केवलानन्द) है। ईश्वर सत्य है। ईश्वर प्रेम है। परमात्मा प्रकाशों का प्रकाश है। ईश्वर सर्वव्यापी बुद्धि और चैतन्य है। ईश्वर ही वह सर्वव्यापी शक्ति है, जो इस ब्रह्माण्ड का संचालन करती है और इसको सुव्यवस्थित भी रखती है। वह(परमेश्वर) इस शरीर और मन का आन्तरिक शासक(अन्तर्यामी) है। वह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी है। वह सूत्रधार अर्थात तुम्हारे जीवन की डोरी को धारण करने वाला है। उसके छः गुण ज्ञान, वैराग्य, सौन्दर्य(माधुर्य), ऐश्वर्य, श्री और कीर्ति हैं। अतः वह भगवान कहलाता है।
ईश्वर सच्चिदानन्द (अस्तित्वपूर्ण, ज्ञानमय और केवलानन्द) है। ईश्वर सत्य है। ईश्वर प्रेम है। परमात्मा प्रकाशों का प्रकाश है। ईश्वर सर्वव्यापी बुद्धि और चैतन्य है। ईश्वर ही वह सर्वव्यापी शक्ति है, जो इस ब्रह्माण्ड का संचालन करती है और इसको सुव्यवस्थित भी रखती है। वह(परमेश्वर) इस शरीर और मन का आन्तरिक शासक(अन्तर्यामी) है। वह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी है। वह सूत्रधार अर्थात तुम्हारे जीवन की डोरी को धारण करने वाला है। उसके छः गुण ज्ञान, वैराग्य, सौन्दर्य(माधुर्य), ऐश्वर्य, श्री और कीर्ति हैं। अतः वह भगवान कहलाता है।
गुरुवार, 7 जनवरी 2010
PRAYER FOR WORLD PEACE
O ALL-MERCIFUL LORD!
GRANT US AN UNDERSTANDING AND FORGIVING HEART, BROAD TOLERANCE AND ADAPTABILITY. GRANT US THE INNER EYE OF WISDOM WITH WHICH WE WILL BEHOLD ONENESS OF THE SELF EVERYWHERE. MAY PEACE BE UNTO ALL!
MAY PROSPERITY BE UNTO ALL!
MAY HAPPINESS BE UNTO THE WHOLE WORLD!
OM PEACE! PEACE! PEACE!
हे दयामय प्रभु!
हमें क्षमाशील हृदय, विशाल सहिष्णुता,परस्पर समझ और अनुकूलता प्रदान करें। हमें आन्तरिक ज्ञान-चक्षु दें जिससे हमें हर ओर अपनी ही आत्मा के स्वरूप का दर्शन हो।
सब ओर शान्ति का वास हो!
सब ओर स्मृद्धि का वास हो!
समस्त विश्व में सुख का वास हो!
औम् शान्ति! शान्ति! शान्ति!
GRANT US AN UNDERSTANDING AND FORGIVING HEART, BROAD TOLERANCE AND ADAPTABILITY. GRANT US THE INNER EYE OF WISDOM WITH WHICH WE WILL BEHOLD ONENESS OF THE SELF EVERYWHERE. MAY PEACE BE UNTO ALL!
MAY PROSPERITY BE UNTO ALL!
MAY HAPPINESS BE UNTO THE WHOLE WORLD!
OM PEACE! PEACE! PEACE!
हे दयामय प्रभु!
हमें क्षमाशील हृदय, विशाल सहिष्णुता,परस्पर समझ और अनुकूलता प्रदान करें। हमें आन्तरिक ज्ञान-चक्षु दें जिससे हमें हर ओर अपनी ही आत्मा के स्वरूप का दर्शन हो।
सब ओर शान्ति का वास हो!
सब ओर स्मृद्धि का वास हो!
समस्त विश्व में सुख का वास हो!
औम् शान्ति! शान्ति! शान्ति!
बुधवार, 6 जनवरी 2010
PRAYER FOR WORLD PEACE
O ADORABLE LORD!
MAY ABSOLUTE PEACE REIGN OVER THE WHOLE
WORLD! MAY ALL NATIONS AND COMMUNITIES
BE UNITED BY THE BOND OF PURE LOVE! MAY ALL
ENJOY PEACE AND PROSPERITY! MAY THERE BE
DEEP ABIDING PEACE THROUGHOUT THE
UNIVERSE! MAY WE ALL WORK TOGETHER
HARMONIOUSLY WITH THE SPIRIT OF SELF-
SACRIFICE FOR THE WELL-BEING OF THE WORLD!
MAY WE ALL DEVELOP COSMIC LOVE
AND UNIVERSAL BROTHERHOOD!
MAY WE SEE GOD IN ALL FACES!
हे पूजनीय प्रभु!
समस्त विश्व में सम्पूर्ण शांति का राज्य हो!
सब राष्ट्र और जातियां पूर्ण प्रेम के बंधन से एकत्रित हों!
सब शान्ति और स्मृद्धि का आनन्द लें!
समस्त ब्रह्माण्ड में स्थिर शांति रहे!
हम सब संसार की भलाई के लिए एकता और
स्वार्थ-रहित भावना से एक होकर कार्य करें!
हम पवित्र प्रेम और व्यापक भाईचारे को बढ़ावा दें!
हम सब में ईश्वर-दर्शन करें!
MAY ABSOLUTE PEACE REIGN OVER THE WHOLE
WORLD! MAY ALL NATIONS AND COMMUNITIES
BE UNITED BY THE BOND OF PURE LOVE! MAY ALL
ENJOY PEACE AND PROSPERITY! MAY THERE BE
DEEP ABIDING PEACE THROUGHOUT THE
UNIVERSE! MAY WE ALL WORK TOGETHER
HARMONIOUSLY WITH THE SPIRIT OF SELF-
SACRIFICE FOR THE WELL-BEING OF THE WORLD!
MAY WE ALL DEVELOP COSMIC LOVE
AND UNIVERSAL BROTHERHOOD!
MAY WE SEE GOD IN ALL FACES!
हे पूजनीय प्रभु!
समस्त विश्व में सम्पूर्ण शांति का राज्य हो!
सब राष्ट्र और जातियां पूर्ण प्रेम के बंधन से एकत्रित हों!
सब शान्ति और स्मृद्धि का आनन्द लें!
समस्त ब्रह्माण्ड में स्थिर शांति रहे!
हम सब संसार की भलाई के लिए एकता और
स्वार्थ-रहित भावना से एक होकर कार्य करें!
हम पवित्र प्रेम और व्यापक भाईचारे को बढ़ावा दें!
हम सब में ईश्वर-दर्शन करें!
मंगलवार, 5 जनवरी 2010
PRAYER
O LORD, THE DISPELLER OF IGNORANCE.
THOU ART ALL-MERCIFUL LORD!
LET ME BE FREE FROM GREED, LUST,
EGOISM, JEALOUSY AND HATRED.
I MAY RADIATE JOY, PEACE AND BLISS
TO THE WHOLE WORLD. LET ME UTILISE
THIS BODY, MIND AND SENSES IN THY SERVICE
AND IN THE SERVICE OF THE CREATURES.
LET ME LOVE ALL AS MY OWN SELF!
SALUTATIONS UNTO THEE, O LORD OF COMPASSION!
हे प्रभु, अज्ञान को दूर करने वाले!
आप ही करूणा के सागर हैं! मुझे लोभ, वासना, अह्म,
ईर्ष्या और शत्रुता से मुक्त करो। मुझे समस्त विश्व में सुख,
शान्ति और आनन्द फैलाने की शक्ति दो। मैं अपने शरीर,
मन और बुद्धि से तुम्हारी और सृष्टि के जीवों की सेवा करूं।
मैं सबको अपना स्वरूप मान कर प्रेम करूं!
हे करूणा के सागर, मेरा तुम्हें बारम्बार नमस्कार है!
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THOU ART ALL-MERCIFUL LORD!
LET ME BE FREE FROM GREED, LUST,
EGOISM, JEALOUSY AND HATRED.
I MAY RADIATE JOY, PEACE AND BLISS
TO THE WHOLE WORLD. LET ME UTILISE
THIS BODY, MIND AND SENSES IN THY SERVICE
AND IN THE SERVICE OF THE CREATURES.
LET ME LOVE ALL AS MY OWN SELF!
SALUTATIONS UNTO THEE, O LORD OF COMPASSION!
हे प्रभु, अज्ञान को दूर करने वाले!
आप ही करूणा के सागर हैं! मुझे लोभ, वासना, अह्म,
ईर्ष्या और शत्रुता से मुक्त करो। मुझे समस्त विश्व में सुख,
शान्ति और आनन्द फैलाने की शक्ति दो। मैं अपने शरीर,
मन और बुद्धि से तुम्हारी और सृष्टि के जीवों की सेवा करूं।
मैं सबको अपना स्वरूप मान कर प्रेम करूं!
हे करूणा के सागर, मेरा तुम्हें बारम्बार नमस्कार है!
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सोमवार, 4 जनवरी 2010
PRAYER
O LORD, THE INDEWELLER OF MY HEART!
REMOVE MY WEAKNESSES, DEFECTS AND
EVIL THOUGHTS. LET ME DEVELOP ALL
SUBLIME VIRTUES! MAKE ME PURE SO THAT
I MAY BE ABLE TO RECEIVE THY GRACE
AND BLESSINGS! THOU ART THE THREAD-
SOUL THAT CONNECTS ALL BEINGS.
THOU PERVADEST ALL, PERMEATEST AND
INTERPENETRATEST ALL THINGS OF THIS
UNIVERSE. LET ME REMEMBER THEE ALWAYS!
हे प्रभु, मेरे हृदय-निवासी!
मेरी कमजोरियों, अवगुण और दुर्विचारों को दूर करो।
मुझमें सब प्रकार के सद्गुण विकसित करो! मुझे पवित्र करो,
ताकि मैं आपकी करूणा और कृपा पाने योग्य बनूं!
आप ही सब आत्माओं के सूत्रधार हो जो सबको जोड़ते हो।
आपही समस्त ब्रह्माण्ड में व्यापक हैं और सबका आधार हैं।
मैं सदा आपका स्मरण करता रहूं!
REMOVE MY WEAKNESSES, DEFECTS AND
EVIL THOUGHTS. LET ME DEVELOP ALL
SUBLIME VIRTUES! MAKE ME PURE SO THAT
I MAY BE ABLE TO RECEIVE THY GRACE
AND BLESSINGS! THOU ART THE THREAD-
SOUL THAT CONNECTS ALL BEINGS.
THOU PERVADEST ALL, PERMEATEST AND
INTERPENETRATEST ALL THINGS OF THIS
UNIVERSE. LET ME REMEMBER THEE ALWAYS!
हे प्रभु, मेरे हृदय-निवासी!
मेरी कमजोरियों, अवगुण और दुर्विचारों को दूर करो।
मुझमें सब प्रकार के सद्गुण विकसित करो! मुझे पवित्र करो,
ताकि मैं आपकी करूणा और कृपा पाने योग्य बनूं!
आप ही सब आत्माओं के सूत्रधार हो जो सबको जोड़ते हो।
आपही समस्त ब्रह्माण्ड में व्यापक हैं और सबका आधार हैं।
मैं सदा आपका स्मरण करता रहूं!
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
PRAYER
O LORD, THE CREATOR OF THIS UNIVERSE.
THE PROTECTOR OF THIS WORLD.
SALUTATIONS UNTO THEE!
O BESTOWER OF JOY AND BLISS!
O SWEET LORD!
LET ME BE ABLE TO LOOK UPON
ALL BEINGS WITH EQUAL VISION.
LET ME BE FREE FROM IMPURITY AND SIN!
GIVE ME STRENGTH TO CONTROL THE MIND!
GIVE ME STRENGTH TO SERVE THEE
AND THE HUMANITY UNTIRINGLY.
LET ME REALISE THE TRUTH!
हे प्रभु, ब्रह्माण्ड के रचियता, संसार के रक्षक।
तुम्हें नमस्कार करता हूं!
हे प्रसन्नता और परमानन्द दाता! हे करूणामय प्रभु!
मुझे सब प्राणियों के प्रति समान दृष्टि प्रदान करो।
मुझे सब दोषों और पापों से मुक्त करो!
मुझे बुद्धि को संयम करने की शक्ति दो!
मुझे निरन्तर आपकी और
समस्त जीवों की सेवा करने की शक्ति दो।
मुझे सत्य का आभास हो!
THE PROTECTOR OF THIS WORLD.
SALUTATIONS UNTO THEE!
O BESTOWER OF JOY AND BLISS!
O SWEET LORD!
LET ME BE ABLE TO LOOK UPON
ALL BEINGS WITH EQUAL VISION.
LET ME BE FREE FROM IMPURITY AND SIN!
GIVE ME STRENGTH TO CONTROL THE MIND!
GIVE ME STRENGTH TO SERVE THEE
AND THE HUMANITY UNTIRINGLY.
LET ME REALISE THE TRUTH!
हे प्रभु, ब्रह्माण्ड के रचियता, संसार के रक्षक।
तुम्हें नमस्कार करता हूं!
हे प्रसन्नता और परमानन्द दाता! हे करूणामय प्रभु!
मुझे सब प्राणियों के प्रति समान दृष्टि प्रदान करो।
मुझे सब दोषों और पापों से मुक्त करो!
मुझे बुद्धि को संयम करने की शक्ति दो!
मुझे निरन्तर आपकी और
समस्त जीवों की सेवा करने की शक्ति दो।
मुझे सत्य का आभास हो!
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