गुरुवार, 22 अक्टूबर 2009

DIVINE MESSAGE - 22.10.09

ONE SHOULD DEVELOP THE FACULTY OF
PRODUCING PURE SATTVIC THOUGHTS
BY PROTRACTED MENTAL DISCIPLINE,
DIETETIC ADJUSTMENTS, REPETITION OF
GOOD SLOKAS WITH MEANING, GOOD
COMPANY, STUDY OF DIVINE BOOKS, JAPA,
MEDITATION, PRANAYAMA, PRAYER, ETC.
(Swami Sivananda)
प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मानसिक शिष्टाचार,
शुद्ध आहार, सत्यभाषण, सत्संगति, धार्मिक पुस्तकों
का अध्ययन, जप, ध्यान, प्राणायाम और प्रार्थना
का अभ्यास कर सात्विक विचारों को उत्पन्न
करने की शक्ति का विकास करे।

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