BOUND BY HUNDREDS OF TIES OF HOPE,
GIVEN OVER TO LUST AND ANGER, THEY
STRIVE TO AMASS HOARDS OF WEALTH,
BY UNFAIR MEANS, FOR THE ENJOYMENT
OF SENSUOUS PLEASURES.
(Gita)
वे आशा की सैकड़ों फांसियों से बंधे हुए मनुष्य काम-
क्रोध के परायण होकर विषय भोगों के लिए अन्याय-
पूर्वक धनादि पदार्थों का संग्रह करने की चेष्टा करते हैं।
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गुरुवार, 20 अगस्त 2009
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