HE WHO SEES THAT ALL ACTIONS ARE
PERFORMED IN EVERYWAY BY NATURE
AND THAT THE SELF IS NOT
THE DOER, HE VERILY SEES REALITY.
(Gita)
जो सम्पूर्ण कर्मों को सब प्रकार से
प्रकृति के द्वारा ही किये जाते हुए
देखता है और अपने-आपको
अकर्ता देखता है वही यथार्थ देखता है।
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सोमवार, 10 अगस्त 2009
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