COMPANY OF THE NOBLE SOULS
BRINGS JOY UNTOLD,
WHEN A KING PERFUMES HIS ROBES,
FRAGRANCE FILLS THE COURT.
उत्तम जन के संग में, सहजै ही सुख-भास।
जैसे नृप लावे अतर, लेत सभा जन बास।।
(वरिन्द कवि)
बुधवार, 17 फ़रवरी 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें