बुधवार, 30 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 30.09.09

IF THERE IS THE FEELING OF ANGER,
THINK OF LOVE.

यदि क्रोध की भावना प्रबल है तो,
प्रेम के विषय में सोचो।


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मंगलवार, 29 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 29.09.09

YOU CAN CHANGE YOUR VICIOUS NATURE BY
CULTIVATING HEALTHY VIRTUOUS QUALITIES.
POSITIVE ALWAYS OVERPOWERS THE NEGATIVE.
THIS IS AN INFALLIBLE LAW OF NATURE.
(Swami Sivananda)
तुम अपने पापी स्वभाव को अच्छे गुण सीख कर बदल
सकते हो। सामान्य विचार सदैव निषेधात्मक विचारों
पर विजय पाते हैं, यह प्रकृति का सुन्दर नियम है।

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सोमवार, 28 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 28.09.09

YOU SHOULD BE EVER WATCHING THE
MENTAL STATES THROUGH CAREFUL AND
VIGILANT INTROSPECTION, AND SHOULD NOT
ALLOW ANY NEGATIVE AND UNDESIRABLE
BHAVA TO MANIFEST. YOU MUST
IMMEDIATELY CHANGE THE EVIL BHAVA
BY THINKING OF THE OPPOSITE BHAVA.
(Swami Sivananda)
सावधानी और अन्तरावलोकन द्वारा सदा मानसिक
परिस्थितियों का ध्यान रखना चाहिए। मन में किसी
प्रकार का निषेधात्मक या अनिश्चित भाव प्रकट नहीं
होने देना चाहिए। कलुषित भावना को शुद्ध भावना
में बदल देना चाहिए।

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शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

बंजारानामा - 'नज़ीर' अकबराबादी

ये धूम-धड़क्का साथ लिये क्यों फिरता है जंगल-जंगल
इक तिनका साथ न जावेगा मौक़ूफ़ हुआ जब अन्न और जल
घर-बार अटारी चौपारी क्या ख़ासा, नैनसुख और मलमल
क्या चिलमन, परदे, फ़र्श नए क्या लाल पलंग और रंग-महल

सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

कुछ काम न आवेगा तेरे ये लालो-ज़मर्रुद सीमो-ज़र
जब पूंजी बाट में बिखरेगी हर आन बनेगी जान ऊपर
नौबत, नक़्क़ारे, बान, निशां, दौलत, हशमत, फ़ौजें, लशकर
क्या मसनद, तकिया, मुल्क मकां, क्या चौकी, कुर्सी, तख़्त, छतर
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

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गुरुवार, 24 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 24.09.09

UNWAVERING FIRMNESS AND PATIENCE
ARE NEEDED TO TIDE OVER CRITICAL
SITUATIONS AND GAIN SUCCESS. DO NOT
PERTURBED ON SMALL HAPPENINGS
AND NEVER LOSE PATIENCE.
(Swami Sivananda)
विकट परिस्थितियों पर विजय पाने और सफल बनने
के लिए दृढ़ लगन और अनहत धैर्य की आवश्यकता है।
साधारण सी घटना से विचलित नहीं होना चाहिए
और न ही धैर्य का त्याग करना चाहिए


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बुधवार, 23 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 23.09.09

An ethical man is more powerful than an intellectual man.
Ethical culture brings in various sorts of Sidhis or occult
powers. The nine Ridhis(accomplishments) roll under
the feet of an ethically developed man. They are ready
to serve him. Morality goes hand in hand with spirituality.
(Swami Sivananda)
सदाचारी मनुष्य बुद्धिवादी से कहीं अधिक शक्तिमान है। चरित्र
की उन्नति होने से नाना प्रकार की सिद्धियों और गुप्त शक्तियों
की प्राप्ति होती है। जो सदाचार में उन्नति करते हैं, नव-निधियां
उनके चरणों में लोटती है, वे सदा उनकी सेवा में प्रस्तुत रहती है
सच्चरित्रता आध्यात्मिकता के साथ-साथ चलती है।

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मंगलवार, 22 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 22.09.09

Right thinking, right endeavour, right action,
right living, etc., are all best calculated to
develop the moral side of a man. Sadachar
or right conduct aims at making a man moral,
so that he may be fit for the reception of Atma-
Jnan or the realisation of the Supreme Tattva.
(Swami Sivananda)
उचित विचार, उचित प्रयास, उचित कर्म, उचित
चर्चा आदि मनुष्य की नैतिक उन्नति के लिए
अत्यन्त विचार-वान सिद्धान्त है। सदाचार या
उचित आचरण से मनुष्य नैतिक बनता है और
आत्म-तत्त्व या ब्रह्मज्ञान पाने योग्य हो जाता है।


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सोमवार, 21 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 21.09.09

ASSERT YOUR DIVINE MAJESTY. RECOGNISE THE
BRAHMIC GLORY. REALISE YOUR FREEDOM AND
SATCHIDANANDA NATURE, YOUR CENTRE, IDEAL,
GOAL AND HERITAGE. REST IN THAT OCEAN OF
LIGHT, KNOWLEDGE, LOVE, PEACE, JOY AND BLISS
(Swami Sivananda)
अपने दैवी वैभवों को पहचानो। ब्रह्म की महिमा का अनुभव करो।
अपनी स्वतन्त्रता, अपना सच्चिदानन्द स्वभाव, अपना महाकेन्द्र,
आदर्श और लक्ष्य कभी न भूलो। उस प्रकाश, ज्ञान, प्रेम, शान्ति,
सुख और आनन्द के समुंद्र में सदा आनन्दमग्न रहो।

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शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

बंजारानामा - 'नज़ीर' अकबराबादी

जब चलते-चलते रस्ते में ये गौन तेरी रह जावेगी
इक बधिया तेरी मिट्टी पर फिर घास न चरने पावेगी
ये खेप जो तूने लादी है सब हिस्सों में बंट जावेगी
धी, पूत, जमाई, बेटा क्या, बंजारिन पास न आवेगी
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

ये खेप भरे जो जाता है, ये खेप मियां मत गिन अपनी
अब कोई घड़ी पल साअ़त में ये खेप बदन की है कफ़नी
क्या थाल कटोरी चांदी की क्या पीतल की डिबिया ढकनी
क्या बरतन सोने चांदी के क्या मिट्टी की हंडिया चपनी
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

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गुरुवार, 17 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 17.09.09

YOU MUST BECOME AN EXPERT IN
DECIDING A LINE OF ACTION, WHEN
YOU ARE IN A DILEMMA, THAT CAN
BRING SURE SUCCESS. YOU MUST
KEEP THE INSTRUMENT(BUDHHI)
VERY VERY SUBTLE AND SHARP.
(Swami Sivananda)
जब कभी तुम उभय-संभव तर्क में पड़ जाओ,

तो तुम्हें मार्ग निश्चित करने के लिए निपुण
बनना चाहिए, जिससे तुम्हे सीधी सफलता
प्राप्त हो सके। इसके लिए बुद्धि अति सूक्षम
और कुशाग्र रहनी चाहिए।

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बुधवार, 16 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 16.09.09

Do not be carried away by undue sentiments
and bubbling emotions. Control them.
Reflect how the calamity or trouble or
catastrophe has come. There is always
scope for suitable, effective, easy methods
to tide over the crisis or trying situation.
(Swami Sivananda)
भावनाओं की प्रचुरता और बुलबुले के समान
उठने वाली उत्तेजनाओं के प्रवाह में बह न जाओ।
उनको वश में करो। आखिर संकट आया क्यों, यह
झंझट बरसी कैसे-इस पर मनन करो। परिस्थितियों
पर विजय पाने के लिए अनेकों प्रभावशाली और
आसान तरीकों की सदैव गुंजाईश रहती है।

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मंगलवार, 15 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 15.09.09

Always try to keep a cool head. Do not cry
over spilt milk. Anyhow it has come to pass.
You will have to face it with cheerful
countenance. Try to make the best of things.
Find out methods to tide over the difficulty.
(Swami Sivananda)
सदा मस्तिष्क शान्त रखना चाहिए। बहे हुए दूध
पर चिल्लाने से क्या लाभ? घटना घट चुकी है।
हंस हंस कर विफलताओं का प्रतिकार करना
होगा । जो कुछ भी करो अच्छे ढ़ंग से करो ।
कठिनाईयों को उड़ा देने के तरीके खोज निकालो


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सोमवार, 14 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 14.09.09

APPLICATION AND TENACITY, INTEREST AND
ATTENTION, PATIENCE AND PERSEVERANCE,
FAITH AND SELF-RELIANCE, CAN MAKE

A MAN A WONDERFUL WORLD-FIGURE.
(Swami Sivananda)
व्यवहार और दृढ़ता, लगन और ध्यान, धैर्य और
अप्रतिहत प्रयत्न, विश्वास और स्वावलम्बन
मनुष्य को ख्यातिमान बना देते हैं।


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शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

बंजारानामा - 'नज़ीर' अकबराबादी

टुक हिर्सो-हवा को छोड़ मियां, मत देस-बिदेस फिरे मारा
क़ज़्ज़ाक अजल का लुटे है दिन-रात बजाकर नक़्क़ारा
क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतुर क्या गौनें पल्ला सर भारा
क्या गेहूं, चावल, मोठ, मटर, क्या आग, धुआं और अंगारा
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

गर तू है लक्खी बंजारा और खेप भी तेरी भारी है
ऐ ग़ाफ़िल तुझसे भी चढ़ता इक और बड़ा ब्योपारी है
क्या शक्कर, मिसरी, क़ंद, गरी क्या सांभर मीठा-खारी है
क्या दाख़, मुनक़्क़ा, सोंठ, मिरच क्या केसर, लौंग, सुपारी है
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

तू बधिया लादे बैल भरे जो पूरब पच्छिम जावेगा
या सूद बढ़ाकर लावेगा या टोटा घाटा पावेगा
क़ज़्ज़ाक़ अजल का रस्ते में जब भाला मार गिरावेगा
धन दौलत नाती पोता क्या इक कुनबा काम न आवेगा
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
हिर्सो हवा – लालच; क़ज़्ज़ाक – डाकू; अजल – मौत; शुतुर – ऊंट; क़ंद – खां ड

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गुरुवार, 10 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 10.09.09

THINKING TOO MUCH IS A HINDRANCE IN THE
EXECUTION BY THE WILL. IT BRINGS CONFUSION,
DIFFIDENCE AND PROCRASTINATION. THE
OPPORTUNITY WILL SLIP AWAY. YOU MUST THINK
RIGHTLY AND, AT THE SAME TIME, FEEL RIGHTLY.
THEN THE 'WILL' IS BOUND TO SUCCEED.
(Swami Sivananda)
विचारों की अधिकता संकल्पित कार्यों की सफलता में
बाधा पहुंचाती है। इससे भ्रान्ति, संशय और दीर्घसूत्रता
का उदय होता है। अवसर हाथ से निकल जाते हैं।
अतः उचित रीति से सोचना चाहिए और उचित अनुभव
ही करने चाहिए, तभी संकल्प की सफलता निश्चित होगी।


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बुधवार, 9 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 09.09.09

Never complain against bad environments. There
are some difficulties and disadvantages wherever
you go. You cannot get an ideal place and ideal
surroundings in any part of the world. This world
is a relative plane of good and evil. Try to live
happily in any place, under any condition.
You can get sanguine success in any undertaking.
(Swami Sivananda)
विषम परिस्थितियों की शिकायत मत करो। जहां कहीं
तुम जाओगे, वहां कठिनाईयां और हानियां अवश्य
मिलेंगी। तुम संसार के किसी भी हिस्से में एक आदर्श
स्थान या अनुकूल परिस्थिति नहीं पा सकोगे। यह संसार
अनुकूल और प्रतिकूल का मिश्रण है। किसी स्थान में,
किसी भी अवस्था में प्रसन्न रहने की चेष्टा करो, तुम किसी
भी कार्य में आशातीत सफलता प्राप्त कर सकते हो।

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मंगलवार, 8 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 08.09.09

THE DISCIPLINE OF THE INDRIYAS (SENSES)
IS IMPORTANT. IF THE INDRIYAS ARE TURBULENT,
YOU CANNOT HAVE CONCENTRATION. WATCH
EVERY INDRIYA CAREFULLY AND CURB IT BY
SUITABLE METHODS, SUCH AS FASTING, MOUNA
(SILENCE), CELIBACY, RENUNCIATION OF ARTICLES.
(Swami Sivananda)
इन्द्रियों पे संयम पाना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि इन्द्रियां
उपद्रवी हैं तो मन की एकाग्रता स्थापित नहीं की जा सकती।
अतः सावधानी से प्रत्येक इन्द्रिय के कार्यकलापों का निरीक्षण
करते रहो तथा उपवास, मौन-अभ्यास, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
आदि उचित तरीकों से उसका मार्ग भी अवरुद्ध करते रहो।


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सोमवार, 7 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 07.09.09

Development of virtues is essential for success in
life. Develop that virtue which you are hopelessly
lacking in. The development of one important virtue
will cling all other virtues to you. If you have humility
and courage, and are established in truthfulness,
all other virtues will come of their own accord.
(Swami Sivananda)
जीवन में सफलता के लिए सद्गुणों का विकास आवश्यक है।
जो गुण तुम में अनुपस्थित है, उसीकी साधना करो। एक
महत्वपूर्ण गुण का विकास कर लेने से बहुत से गुण अपने-आप
तुम में आ जायेंगे। यदि तुमने नम्रता और साहस का विकास
कर लिया, और सत्य में स्थिर हो गए तो दूसरे आधारभूत
गुण स्वतः प्रत्यक्ष होकर तुम्हारे चरित्र में ढ़ल जायेंगे।

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शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

DIVINE MESSAG - 04.09.09

Will is Atma-Bal(power of Self). Will is dynamic soul-force. Will if it is rendered pure and irresistible,
can work wonders. There is nothing impossible for a man of strong will to achieve in the three worlds. The will becomes impure and weak through Vasanas(desires). When a desire is controlled, it
becomes changed into will. The sexual energy, the muscular energy, anger, etc., are all transmuted into will-force when they are controlled.
‘THE FEWER THE DESIRES, THE STRONGER THE WILL.’
(Swami Sivananda)
आत्मबल को ही संकल्प कहा जाता है। संकल्प शत्रुओं का दमन करने वाली शक्ति है। संकल्प का शुद्ध और अप्रतिहत अभ्यास किया जाए तो अदभुत् कार्य भी सिद्ध किये जा सकते हैं। बलवती इच्छा वाले व्यक्ति के लिए त्रिलोक में कोइ भी प्राप्तव्य असंभव नहीं है। वासना से संकल्प अशुद्ध और निर्बल हो जाता है। एक-एक इच्छा, यदि वश में कर ली जाए तो संकल्प बन जाती है। कामशक्ति, मांसलशक्ति, क्रोध आदि शक्तियों पर जब अधिकार प्राप्त कर लिया जाता है तो वे संकल्प में विलीन हो जाती हैं।
‘इच्छाएं जितनी कम हों, संकल्प उतना ही बलवान् होता जाता है।’


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गुरुवार, 3 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 03.09.09

Understand the glory, splendour and power of the
Self which is at the back of your mind, thought, will
and memory. Understand the magnanimity and
immortal nature of that hidden inter-penetrating,
indwelling essence. Know that this Self is the storehouse
for all knowledge, bliss, power, beauty, peace and joy.
(Swami Sivanada)
तुम्हारे मन, विचार, संकल्प और स्मृति की आड़ में
और क्या है? केवल आत्मा ही है। आत्मा की महिमा
और शक्ति को पहचानो, उसकी महत्ता के गौरव का
ध्यान करो। वह सबमें व्यापक है, सबकी रग-रग में
समाया हुआ है। वह ज्ञान, आनन्द, शक्ति, सौन्दर्य,
शान्ति और स्मृद्धि तथा कल्याण एवं सुख का भण्डार है।


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बुधवार, 2 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 02.09.09

Those who want to become magnetic and
dynamic personalities or prodigies should
utilise every second to the best possible
advantage and should try to grow mentally,
morally and spiritually every second.
Idle gossiping should be given up entirely.
Every one of us should realise the value of time.
(Swami Sivananda)
जो शक्तिशाली और विलक्षण व्यक्तित्वशाली मनुष्य
बनना चाहते हैं, उन्हें अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का
उपयोग महान् कार्यों में करना चाहिए और मानसिक,
नैतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिए सचेष्ट रहना चाहिए।
व्यर्थ की बातचीत सदा के लिए त्याग देनी चाहिए।
प्रत्येक को समय के मूल्य का ज्ञान होना चाहिए।

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मंगलवार, 1 सितंबर 2009

DIVINE MESSAGE - 01.09.09

Desire, anger and greed - these triple gates of hell,
bring about the downfall of the soul. Therefore,
one should shun all these three. Freed from these
three gates of hell, man works for his own
salvation and thereby attains the Supreme Goal.
(Gita-Ch.16, Sh. 21, 22)
काम, क्रोध तथा लोभ - ये तीन प्रकार के नरक के द्वार
आत्मा का नाश करने वाले हैं। इसलिए इन तीनों को
त्याग देना चाहिए। इन तीनों नरक के द्वारों से मुक्त हुआ
मनुष्य अपने कल्याण का आचरण करता है,
इससे वह परमगति को प्राप्त हो जाता है।


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