Who knows the truth, believes, even though seeing, hearing, touching, smelling, eating, walking, sleeping, breathing, speaking, emitting, grasping, and opening or closing the eyes, that he does nothing, holding that the senses move among the sense-objects.
(Gita)
तत्त्व को जानने वाला तो देखता हुआ, सुनता हुआ, स्पर्श करता हुआ, सूंघता हुआ, भोजन करता हुआ, गमन करता हुआ, सोता हुआ, सांस लेता हुआ, बोलता हुआ, त्यागता हआ, ग्रहण करता हुआ तथा आंखों को खोलता और मूंदता हुआ भी, सब इन्द्रियां अपने-अपने अर्थों में बरत रही हैं - इसप्रकार समझकर निःसंदेह ऐसा माने कि मैं कुछ भी नहीं करता हूं।
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गुरुवार, 23 जुलाई 2009
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1 टिप्पणी:
bahut sundar
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