HAVING SUBDUED HIS MIND AND BODY,
GIVEN UP ALL OBJECTS OF ENJOYMENT,
AND FREE FROM DESIRES, PERFORMING
ACTION NECESSARY FOR THE MAINTENANCE
OF BODY; INCURS NO SIN.
जो मनुष्य मन तथा बुद्धि को संयम में रखते हुए,
समस्त भोगों को त्याग कर, फल की आशा किये
बिना, केवल शरीर-निर्वाह के लिये कर्म करता है,
वह पाप को प्राप्त नहीं होता।
(गीता)
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मंगलवार, 21 जुलाई 2009
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